कविताएं

बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी को समर्पित..

संविधान निर्माता भारत रत्न बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर   का 126वां जन्मदिन आज है .. ------ Today is 126th birth anniversary of Baba Saheb Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar. Happy Birthday Bahasaheb ! A salute to the arc…

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स्वतंत्रता दिवस की पुकार (काव्य)

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई। वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥ कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं। उनसे पूछो…

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वह एक शख्स था जो इन्सानियत की मिसाल था,

वह एक शख्स था जो इन्सानियत की मिसाल था, खुदा का कलाम था, वो खुद भी कमाल था, भारत की पहचान था, हमारा स्वाभिमान था, नई ऊर्जा, नई शक्ति , नया उसमें विशवास था, शायद कोई अवतार था,  मानवता का पाठ था, धर्मनिर्पेक्षता…

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क्या रे ज़िंदगी क्या तेरी है कहानी

क्या रे ज़िंदगी क्या तेरी है कहानी, कभी आती है समझ में तो कभी नहीं हो कुछ भी चाहो तो मिलता नहीं है वो, गर तू चाहे तो ये भी हो....  वो भी हो अरे जो भी होता हो, होता रहे अब वो..!!! अब कुछ भी तो ना अपना है जो जाना है वो सपना है जीना है …

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सच है क्या दुनिया में .. रहता हर कोई अन्जान है

सच है क्या दुनिया में .. रहता हर कोई अन्जान है.. सोचता कुछ है करता कुछ है.. ..क्या अजीब हर इन्सान है, पूछूं तो पूछूं.. मैं हर बार यही.. पर आखिर कहाँ ये भगवान है, इन्सान बना.. है गया कहाँ ये..  जल्दी आ मुझे तुझसे…

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ना हमें शौक था, ना हमें खौफ था

ना हमें शौक था, ना हमें खौफ था, पर यहाँ हम थे... तो वहाँ वो था, वहाँ हम थे... तो यहाँ वो था जहाँ देखा हमनें.. वहीं वो था... .. जब समझ पाये "दिल की बात" को ना हमें होश था ना उन्हें होश था, ****पीताम्बर शम्भू**…

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अरी व्यवस्था धन्य तू, रचती क्या-क्या रास। रावण सत्ता भोगते, और राम वनवास ।।

अरी व्यवस्था धन्य तू, रचती क्या-क्या रास। रावण सत्ता भोगते, और राम वनवास ।। डाकूजी मुखिया बने, चोर-उचक्के पंच। अब सामाजिक न्याय का, खूब सजा है मंच।। कुंठित है सब चेतना, लक्ष्यहीन संधान। टेक बने हैं देश की, अब बौने प्रतिमान।। अभयारण्य आज …

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अंतर्मन का अंतर्द्वंद , या अंतर्मन की व्याकुलता !

अंतर्मन का अंतर्द्वंद , या अंतर्मन की व्याकुलता ! अंतर्मन करता क्रंदन , या अंतर्मन की आतुरता ! अश्रुहीन अब नेत्र बने , वह पुष्प ह्रदय अब कुम्हलाया ! निस्तेज हुआ वह मुखमंडल , रहती उस पर क़ालि छाया ! तन कृ्शकाय हुआ जाता , मन विचलित हो …

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मैं मातृभाषा में लिखता हूँ....

मैं अपने मन की कहता हूँ, मैं अपने मन की ही सुनता हूँ, जो दिल में आया कह देता हूँ, जो अच्छा ना लगे नहीं सुनता हूँ, मैं मातृभाषा में लिखता हूँ, मैं मातृभाषा में बोलता हूँ, नहीं किसी का है राज मुझपर... मैं मातृभाषा प्…

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हिंदी हमारी मातृभाषा है, मात्र एक भाषा नहीं

जितनी की है पढाई हमने.. जा रही है बेकार अब, हिंदी आते हुए भी... अंग्रेजी बोल रहे है सब, क्या मिलेगा सीखकर... इतनी अंग्रेजी... ज़िन्दगी में अब, देशभक्ति की बात भी... अंग्रेजी में कर रहे है सब, अस्तित्व नहीं कोई... जिस का .. (अंग्रेजी का)…

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ना आयेंगे अब कभी... ना आयेंगे हम कभी ..!!

वक़्त...बे-वक़्त....बुरे वक़्त से.. हर वक़्त.. गुज़र रहे है हम भी, ज़माने भर से.. पल में ही डर रहे है हम भी, ज़िन्दगी रही तो मिलेंगे.. किसी मोड़ पर.. फिर कभी, अभी तो ख़ाक बन कर .. हवा में उड़ रहे है हम भी, रोशनी तलाश  करोगे.. …

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हिंदी भाषा है मेरा नाम

हिंदी भाषा है मेरा नाम थी मैं कभी.. भारत देश की शान, अब मुश्किल से कोई बोलता है मुझको, मातृभाषा अपनी.. बताता है मुझको, लोगों ने मुझे.. भुलाना अब शुरू कर दिया, अंग्रेजी को साथ में मिलाना भी शुरू कर दिया, घूम रही हूँ...मैं मारी मारी,…

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शुभ रात्रि

अजीब रात का मंजर है, दिल में है दर्द बहुत... जैसे लगा कोई खंजर है, ना चाहते हुए भी... सोना है सपनो की दुनिया में... फिर जी भर के रोना है, शायर लोग बड़ी तारीफें करते है... चाँद की, आशिकी में बना देते है उसे... …

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लाल बहादुर शास्त्री जी

|| लाल बहादुर शास्त्री जी को उनके जन्मदिवस पर शत शत नमन || ===== भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, बड़े ही शिष्टाचारी थे, .. नहीं हो सकता कोई नेता उनके जैसा  जैसे "लाल बहादुर शास्त्री" थे, गांधीजी का.. जिस दिन जन्म हुआ, उस…

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गाँधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

आज 2 अक्टूबर को ही जन्में थे, अहिंसा की जो.. साक्षात् मूरत थे, पिता थे.. उनके करमचंद गाँधी... माँ उनकी पुतलीबाई, नाम रखा था उनका मोहनदास, लेकिन.. पढाई में न मन लगता... न थी कोई उन्हें आस, क्योंकि नहीं थे ... अत्यधिक वो अव्व्वल, लेकिन जीन…

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बात अजब... बड़ी न्यारी है, ये मतलब की दुनियादारी है

बात अजब... बड़ी न्यारी है, ये मतलब की दुनियादारी है, सब, मोहजाल में फंसे हुए हैं, अहंकार सर पर, कैसे हुए हैं, भागम-भाग की है बस यारी…  कुछ नहीं यहाँ… ये रिश्तेदारी, .. एक दूसरे को देखकर जलते हैं, बुरे लोग ही यहाँ... फलते हैं, सामने से …

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क्या कहूँ… किससे कहूँ …

क्या कहूँ… किससे कहूँ  … ये बातें में कैसे करूँ, वो कसमें, वो किस्से,  वो अनपढ़े चेहरों की दास्ताँ, दिल ही दिल में समेटे हूँ, यक़ीनन बेहद इम्तहान वाले दौर में हूँ, फरमाइशों और आजमाइशों … में कैद हूँ, दिल की गहराइयों से हू…

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जश्न-ए-आज़ादी की मुबारकबात देते है

तहे दिल से मुबारक करते है, चलो आज फिर उन आज़ादी के लम्हों को याद करते है, कुर्बान हुए थे जो.. वीर भारत देश के लिए.. उनके जज्बे, वीरता और अमरता को प्रणाम करते है. जश्न-ए-आज़ादी का कुछ इस तरह... एलान करते है, साँस रहे ना रहे ... जहन में .. …

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1857 की क्रांति, शहीद मंगल पाण्डेय

"जन्मदिन है आज उस शख्सियत का जिसने सबसे पहले अंग्रेजो के साथ अकेले बगावत की... कारण था हमारे धार्मिक आदर्शो का अपमान.. जो अंग्रेजो ने सबसे पहले 1853 में करना शुरु किया.. तथा 1857 की क्रांति आज भी शहीद मंगल पाण्डेय के लिए हमेशा याद की …

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मेरे किस्से कहानी... सुनो मुंह-जबानी

मेरे किस्से कहानी... सुनो मुंह-जबानी.. ना रोना.. ना हँसना... सुनो हर कहानी, जिया था.. मरा था.. हर इक डगर पर.. भटका था.. तडपा था.. हर इक सफ़र पर, वो यादें वो बातें.... कुछ थी मुलाकातें... हर लम्हा अब कहता है... वो बिन-सोची बातें, …

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