एक ऐतिहासिक मिथक का पर्दाफाश
भारत का प्राचीन इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। यहां गणित, ज्योतिष, चिकित्सा, और दर्शन जैसी कई विधाओं में अद्भुत योगदान देखने को मिलता है। परंतु जब विज्ञान की कसौटी पर कुछ ऐतिहासिक दावे परखे जाते हैं, तो कई बार सत्य और कल्पना के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है।
ऐसा ही एक दावा किया जाता है कि भारत के महान विद्वान और शासक राजा भोज ने 10वीं शताब्दी में विमान उड़ाया था — एक ऐसा दावा जो विज्ञान, इतिहास और तर्क की कसौटी पर सवालों के घेरे में आता है।
राजा भोज कौन थे?
राजा भोज (शासनकाल: 1010–1055 ई.) धार (मध्य प्रदेश) के परमार वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक माने जाते हैं। वे केवल एक युद्ध-कुशल शासक ही नहीं, बल्कि संस्कृत भाषा के विद्वान, वास्तुकला प्रेमी और विज्ञान में रुचि रखने वाले भी थे।
उनका लिखा गया "समरांगण सूत्रधार" नामक ग्रंथ मुख्यतः वास्तुशास्त्र पर आधारित है। इस ग्रंथ में यंत्रों, भवन निर्माण, मूर्तिकला, नगर योजना, और कुछ यांत्रिक उपकरणों का वर्णन मिलता है। यही ग्रंथ कई लोगों द्वारा "विमान विज्ञान" से जोड़ने की कोशिश की जाती है।
दावे क्या हैं?
कुछ राष्ट्रवादी विचारधाराओं द्वारा यह प्रचारित किया जाता है कि:
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राजा भोज ने “विमान” का निर्माण किया था।
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उन्होंने उड़ान संबंधी यंत्रों को बनाने और उड़ाने की तकनीक दी थी।
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भारतीय "विमान शास्त्र" आधुनिक विज्ञान से बहुत पहले विकसित हो चुका था।
इन दावों के पीछे सबसे ज़्यादा उद्धृत होता है "विमानिका शास्त्र" नामक एक ग्रंथ, जिसे पं. सुभ्बाराय शास्त्री द्वारा 1918 में ‘क्लैरवॉयन्स’ (divine vision) के माध्यम से लिखा गया बताया गया है। इस ग्रंथ में यंत्रों, विमानों और उनके संचालन की विधियों का वर्णन है।
इन दावों की सच्चाई क्या है?
1. समरांगण सूत्रधार में विमान का संदर्भ:
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इसमें “विमान” शब्द का उपयोग ज़रूर है, परंतु यह यंत्र चालित हवाई जहाज की बजाय कल्पनात्मक या धार्मिक प्रतीकात्मक विमान का उल्लेख करता है।
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राजा भोज ने तकनीकी रूप से किसी भी वैज्ञानिक विमान का व्यावहारिक निर्माण नहीं किया था।
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इसमें उड़ने वाले यंत्रों की कोई सटीक डिजाइन, उर्जा स्रोत, या वायुगतिकीय सिद्धांत नहीं दिए गए हैं।
2. "विमानिका शास्त्र" का वैज्ञानिक परीक्षण:
सन् 1974 में IISc (Indian Institute of Science), Bengaluru के चार वैमानिकी इंजीनियरों ने इस ग्रंथ का वैज्ञानिक विश्लेषण किया। उनके अध्ययन के अनुसार:
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ग्रंथ में वर्णित विमान अवास्तविक हैं।
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उनके डिज़ाइन भौतिकी के नियमों के विपरीत हैं।
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उनमें प्रयुक्त तकनीक और सामग्री 20वीं सदी की कल्पना है, न कि प्राचीन भारत की।
निष्कर्ष: “विमानिका शास्त्र” वैज्ञानिक रूप से अमान्य और ऐतिहासिक रूप से अविश्वसनीय है।
वैज्ञानिक सिद्धांत: केंद्र गुरुत्वाकर्षण (Center of Gravity)
किसी विमान की उड़ान में Center of Gravity (CG), Lift, Thrust, और Drag जैसे चार प्रमुख सिद्धांत होते हैं। इनका व्यवस्थित अध्ययन और व्यावहारिक उपयोग 18वीं से 19वीं सदी के बीच हुआ।
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Sir George Cayley (1799-1850) को "Father of Aerodynamics" कहा जाता है।
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Wright Brothers ने 1903 में पहली बार यंत्र चालित, नियंत्रित और मानवयुक्त उड़ान सफलतापूर्वक की।
इन वैज्ञानिकों ने जिन नियमों पर काम किया, उनका कोई उल्लेख न तो समरांगण सूत्रधार में है और न ही विमानिका शास्त्र में।
📜 ऐतिहासिक दृष्टिकोण:
तथ्य | सत्य |
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क्या राजा भोज ने विमान उड़ाया? | ❌ कोई प्रमाण नहीं |
क्या समरांगण सूत्रधार में वैज्ञानिक विमान है? | ❌ प्रतीकात्मक वर्णन, तकनीकी नहीं |
क्या विमानिका शास्त्र प्राचीन है? | ❌ यह 1918 के बाद लिखा गया |
क्या इसका वैज्ञानिक आधार है? | ❌ नहीं, IISC की रिपोर्ट अनुसार यह अवैज्ञानिक है |
क्या राइट ब्रदर्स पहले थे? | ✅ हां, 1903 में उन्होंने पहली यंत्र चालित उड़ान की |
निष्कर्ष:
भारत का अतीत गौरवशाली अवश्य है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम अवैज्ञानिक या अप्रमाणित दावों को ऐतिहासिक सच मान लें। राजा भोज एक महान विद्वान और संरक्षक शासक थे, लेकिन उन्होंने कोई विमान नहीं उड़ाया। न ही उनके काल में ऐसा कोई वैज्ञानिक यंत्र विकसित हुआ जिसकी तुलना आज के विमानों से की जा सके।
ऐसे दावे हमारी वैज्ञानिक सोच को भ्रमित करते हैं और देश की बौद्धिक छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। सत्य की खोज केवल गौरव के लिए नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और ज्ञान की रक्षा के लिए भी आवश्यक है।
📚 संदर्भ:
- Samarangana Sutradhara – Raja Bhoja, Critical edition
- “A critical study of the work Vaimanika Shastra” – Indian Institute of Science, Bengaluru, 1974
- Wright Brothers’ Flight – Library of Congress, U.S.
- George Cayley – Contributions to Aviation Science