2015 में तो इलाहाबाद के कुंभ मेले में यह दावा किया गया था कि:
“गंगा जल में स्नान करने से व्यक्ति का DNA शुद्ध हो जाता है।”
दावा क्या है?
प्रचारकों का कहना है:
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गंगा जल में विशेष सूक्ष्मजीव और ऊर्जा तरंगें हैं।
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यह स्नान करने वालों के डीएनए को शुद्ध या शक्तिशाली बना देती हैं।
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यह आध्यात्मिक स्नान नहीं बल्कि मोलिकुलर स्तर पर होने वाला शुद्धिकरण है।
यह कथन सुनने में अध्यात्म और विज्ञान का मिश्रण लगता है — लेकिन असल में यह विज्ञान की मूलभूत समझ का उल्लंघन है।
🧬DNA क्या होता है?
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DNA (Deoxyribonucleic Acid) हमारे शरीर की आनुवंशिक जानकारी का वाहक होता है।
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यह हर कोशिका के नाभिक (nucleus) में मौजूद रहता है।
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इसका स्वरूप एक double helix होता है, जिसमें आनुवंशिक कोड (genes) होते हैं।
📌 DNA को शुद्ध करना या बदलना — बहुत जटिल जैविक प्रक्रिया है। इसे केवल जीन एडिटिंग तकनीकों (CRISPR आदि) से किया जा सकता है, वह भी बेहद नियंत्रित प्रयोगशाला स्थितियों में।
क्या गंगा स्नान से DNA बदलता है?
नहीं, ये दावा पूरी तरह असत्य है।
🔬 वैज्ञानिक कारण:
- त्वचा और DNA का कोई सीधा संपर्क नहीं होता– गंगा जल त्वचा के संपर्क में आता है, लेकिन DNA तो शरीर की कोशिकाओं के अंदर सुरक्षित होता है।– पानी से न तो DNA "धुल" सकता है, न "सुधर" सकता है।
- गंगा जल में कोई DNA modifying एजेंट नहीं है– उसमें प्राकृतिक खनिज, बैक्टीरिया या हाइड्रोजन नहीं हैं जो जीन बदल सकें।
- कोई वैज्ञानिक रिसर्च नहीं– आज तक किसी विश्वसनीय जर्नल या प्रयोग में ये साबित नहीं हुआ कि गंगा स्नान से DNA में कोई संरचनात्मक बदलाव आता है।
गंगा जल की विशिष्टता – कहाँ तक सच?
यह सही है कि:
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गंगा जल में कुछ रोगाणुरोधी (anti-bacterial) तत्व पाए गए हैं।– जैसे, bacteriophage नामक वायरस जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं।
लेकिन:
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ये तत्व DNA सुधारने या शुद्ध करने में सक्षम नहीं हैं।
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यह जल की स्वच्छता में सहायक हो सकते हैं, लेकिन आनुवंशिक स्तर पर नहीं।
राष्ट्रवादी दावे क्यों फैलते हैं?
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“हमारे पूर्वज पहले से सब जानते थे” – इस कथन की राजनीतिक लोकप्रियता।
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धार्मिक आस्था को वैज्ञानिक वैधता देने की प्रयास।
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मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल होने की संभावना।
परंतु, झूठ को बार-बार दोहराने से वह सच नहीं हो जाता।
⚠️खतरा क्या है?
- जनता वैज्ञानिक सोच से दूर जाती है।अगर लोग मानने लगें कि स्नान से जीन सुधरते हैं, तो वे टीकाकरण, स्वास्थ्य और जेनेटिक बीमारियों के इलाज से दूर हो सकते हैं।
- मिथ और विज्ञान के बीच की रेखा मिट जाती है।युवा पीढ़ी अंधविश्वास को विज्ञान समझ बैठती है।
- विश्व समुदाय में भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा कमजोर होती है।
संविधान और वैज्ञानिक चेतना
अनुच्छेद 51A(h):
“वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञान की खोज को बढ़ावा देना हर नागरिक का कर्तव्य है।”
📌 जब सरकार समर्थित कार्यक्रमों में इस तरह के झूठे वैज्ञानिक दावे किए जाते हैं, तो यह संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है।
निष्कर्ष: गंगा – पवित्रता की नदी, विज्ञान की प्रयोगशाला नहीं
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गंगा स्नान एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा है — लेकिन इसे DNA विज्ञान से जोड़ना गलत है।
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यह न तो वैज्ञानिक है, न प्रमाणित, और न ही संभावित।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण यही कहता है कि — श्रद्धा रखें, पर अंधश्रद्धा नहीं।