
वक़्त...बे-वक़्त....बुरे वक़्त से.. हर वक़्त.. गुज़र रहे है हम भी,
ज़माने भर से.. पल में ही डर रहे है हम भी,
ज़िन्दगी रही तो मिलेंगे.. किसी मोड़ पर.. फिर कभी,
अभी तो ख़ाक बन कर .. हवा में उड़ रहे है हम भी,
रोशनी तलाश करोगे.. तो नजर आयेंगे हम भी,
अँधेरे में.. आसमां में एक तारा बन जायेंगे हम तभी,
रूठा कर मुझे... अगर मानाने भी चले आओगे.. पास मेरे...
ना होगा कोई एहसान.. तुमपर... जान दे दोगे अगर तब भी,
आएगी याद... वो यादें.. कुछ मेरी तो... फिर भी,
ना सोचना... वो रूठा तो रूठा ... ना रूठते.. तो हम भी,
वक़्त...बे-वक़्त....बुरे वक़्त से.. अब तो गुज़र गए है हम भी,
ना आयेंगे अब तेरी दुनिया में मिलने तुझसे... हम कभी,
फिर कभी.. फिर कभी
ना आयेंगे अब कभी... ना आयेंगे हम कभी
****पीताम्बर शम्भू ****
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