लेनिन: मार्क्सवाद का व्यवहारिक संस्करण और बोल्शेविक क्रांति का मार्गदर्शक

 

“There are decades where nothing happens; and there are weeks where decades happen.”
Vladimir Lenin

लेनिन ने रूस ही नहीं, दुनिया की राजनीति में एक ऐसा दर्शन और मॉडल प्रस्तुत किया जिसे “मार्क्सवाद-लेनिनवाद” के नाम से जाना गया। यह केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि क्रांति, संगठन, और सत्ता परिवर्तन की विस्तृत रूपरेखा थी।


जीवन परिचय

विवरणजानकारी
जन्म22 अप्रैल 1870, सिमबिर्स्क, रूसी साम्राज्य
मृत्यु21 जनवरी 1924, गोर्की, USSR
असली नामव्लादिमीर इल्यीच उल्यानोव
प्रमुख भूमिकाबोल्शेविक नेता, अक्टूबर क्रांति के मार्गदर्शक, USSR के पहले प्रमुख
प्रमुख रचनाएँ
  • What is to be Done? (1902)

  • State and Revolution (1917)

  • Imperialism: The Highest Stage of Capitalism (1916)

  • The April Theses (1917)


लेनिन के राजनीतिक दर्शन के मुख्य तत्त्व

1. मार्क्सवाद का व्यावहारिक रूपांतरण

मार्क्स के सिद्धांतों को लेनिन ने रूस की परिस्थितियों में लागू किया

  • उन्होंने माना कि क्रांति की योजना सिर्फ औद्योगिक राष्ट्रों में ही नहीं, बल्कि अर्द्ध-सामंती राज्यों में भी संभव है।

  • पार्टी और नेतृत्व की भूमिका को मार्क्स की तुलना में कहीं ज़्यादा महत्व दिया।


2. आवश्यक रूप से एक सशक्त क्रांतिकारी पार्टी (Vanguard Party)

“Give me an organization of revolutionaries, and I will overturn the whole world.”

  • What is to be Done? में उन्होंने कहा कि सर्वहारा वर्ग को संगठित करने और जागरूक करने के लिए एक प्रतिबद्ध, अनुशासित पार्टी की आवश्यकता है।

  • यह पार्टी क्रांति का मार्गदर्शन करेगी और मजदूर वर्ग के हितों की रक्षा करेगी।


3. सर्वहारा तानाशाही (Dictatorship of the Proletariat)

  • लेनिन ने बुर्जुआ राज्य की आलोचना करते हुए कहा कि क्रांति के बाद सर्वहारा वर्ग को राज्य की मशीनरी अपने हाथ में लेनी होगी

  • यह "तानाशाही" लोकतंत्र-विरोधी नहीं, बल्कि शोषक वर्गों के अंत हेतु आवश्यक परिवर्तनकाल है।


4. राज्य का विघटन (Withering away of the State)

“The state is a machine for the oppression of one class by another.”

  • State and Revolution में लेनिन ने कहा कि क्रांति के बाद राज्य का एक अस्थायी रूप होगा —
    लेकिन धीरे-धीरे यह वर्गविहीन समाज में बदलकर समाप्त हो जाएगा।


5. संसदीय लोकतंत्र की आलोचना

  • उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को “बुर्जुआ लोकतंत्र” कहा —
    जहाँ वास्तविक सत्ता पूंजीपतियों के हाथों में होती है और चुनाव सिर्फ एक भ्रम होता है।


6. सांप्रदायिक पूंजीवाद और साम्राज्यवाद की आलोचना

“Imperialism is the highest stage of capitalism.”

  • लेनिन के अनुसार पूंजीवाद अपने अंतिम चरण में वैश्विक स्तर पर शोषण की नीति अपनाता है — यही साम्राज्यवाद है।

  • पश्चिमी देशों द्वारा उपनिवेशों का शोषण इसका उदाहरण है।


7. क्रांति का निर्यात (Permanent Revolution)

  • लेनिन ने कहा कि रूस की क्रांति तभी स्थायी होगी जब वह दुनिया भर में फैल जाए।

  • यही कारण था कि इंटरनेशनल कम्युनिस्ट मूवमेंट का समर्थन किया गया।


अक्टूबर क्रांति (1917) और लेनिन की भूमिका

तत्वविवरण
अप्रैल थीसिस"Peace, Land, Bread" — युद्ध समाप्ति, किसानों को ज़मीन, मजदूरों के लिए रोटी
बोल्शेविक पार्टीलेनिन के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी की धारा
क्रांति7 नवम्बर 1917 — अस्थायी सरकार का तख्तापलट, सोवियत सत्ता की स्थापना
परिणामदुनिया का पहला समाजवादी राज्य — USSR

लेनिन का प्रभाव

क्षेत्रप्रभाव
राजनीतिUSSR की स्थापना, एकदलीय शासन
वैश्विक क्रांतिचीन, क्यूबा, वियतनाम आदि में प्रेरणा
शिक्षाक्रांतिकारी संगठन निर्माण की प्रेरणा
भारत में प्रभावभगत सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन, किसान आंदोलनों में प्रभाव

आलोचना

आलोचनाउत्तर
तानाशाही प्रवृत्तिपार्टी और नेतृत्व का ज़्यादा केंद्रीकरण
लोकतंत्र का दमनबोल्शेविकों के विरोधियों का दमन
हिंसा"लाल आतंक" के माध्यम से सत्ता का स्थिरीकरण
व्यावहारिक कठिनाइयाँकिसानों और श्रमिकों के बीच मतभेद

निष्कर्ष

लेनिन ने मार्क्सवाद को सैद्धांतिक दुनिया से उठाकर राजनीतिक क्रिया में बदल दिया।
उन्होंने दिखाया कि यदि संगठन और नेतृत्व मजबूत हो, तो एक क्रांति किसी भी व्यवस्था को बदल सकती है।

“Without a revolutionary theory, there can be no revolutionary movement.”
Lenin

आज लेनिन की विचारधारा आलोचना का विषय भी है और प्रेरणा का स्रोत भी। वह इतिहास में क्रांति के सबसे निर्णायक और संगठक चेहरों में से एक हैं।


संदर्भ सूची:

1. Lenin, State and Revolution
2. Lenin, What is to be Done?
3. Lenin, Imperialism: The Highest Stage of Capitalism
4. Hobsbawm, The Age of Extremes
5. Perry Anderson, Considerations on Western Marxism
6. Sabine & Thorson, A History of Political Theory

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