जॉन लॉक: प्राकृतिक अधिकारों का प्रहरी और आधुनिक उदारवाद का जनक

राजनीतिक इतिहास में कुछ विचारक ऐसे हैं जिन्होंने सत्ता, समाज और नागरिकता की नींव ही बदल दी। जॉन लॉक (1632–1704) ऐसे ही दार्शनिक थे, जिन्होंने यह सिद्ध किया कि राज्य जनता से ऊपर नहीं होता, बल्कि जनता की सहमति से ही अस्तित्व में आता है। वे राजनीतिक चिंतन की उस परंपरा के जनक हैं, जिसे हम आज "उदारवाद" (Liberalism) के नाम से जानते हैं।


जीवन परिचय

विवरणजानकारी
जन्म29 अगस्त 1632, Wrington, इंग्लैंड
मृत्यु28 अक्टूबर 1704
शिक्षाऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (दार्शनिक और चिकित्सक)
प्रमुख रचनाएँTwo Treatises of Government, An Essay Concerning Human Understanding, A Letter Concerning Toleration

लॉक के समय इंग्लैंड राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा था – राजा और संसद के बीच संघर्ष, क्रांति, तानाशाही, और फिर राजतंत्र की पुनर्स्थापना। इस पृष्ठभूमि में लॉक का दर्शन लोगों को यह सिखाता है कि सत्ता को नियंत्रित किया जा सकता है, और सरकार की भूमिका केवल सेवा करने की होनी चाहिए।


1. मानव स्वभाव की समझ (Human Nature)

लॉक का मानव स्वभाव का दृष्टिकोण आशावादी है। वे मानते हैं कि:

  • मनुष्य तर्कशील होता है।

  • वह सही-गलत में फर्क कर सकता है।

  • दूसरों के अधिकारों का आदर करने की क्षमता उसमें जन्मजात होती है।

➤ तुलना:

  • हॉब्स (Hobbes) के अनुसार: मनुष्य स्वार्थी और क्रूर होता है — "Man is a wolf to man."

  • लॉक कहते हैं: मनुष्य स्वभावतः शांतिप्रिय और नैतिक है।

➤ उदाहरण:

यदि किसी गांव में कोई प्रशासनिक व्यवस्था न भी हो, तो भी लोग एक-दूसरे के प्रति सहयोग और सद्भाव बनाए रखते हैं — क्योंकि वे नैतिक और तर्कशील हैं।


2. प्राकृतिक अधिकार (Natural Rights)

लॉक के दर्शन का मूल स्तंभ — प्राकृतिक अधिकार
उनके अनुसार, कुछ अधिकार ऐसे हैं जो मनुष्य को जन्म से ही प्राप्त होते हैं, और जिनसे कोई भी सत्ता या व्यक्ति उसे वंचित नहीं कर सकता।

✅ तीन प्रमुख अधिकार:

    1. जीवन (Life) – हर व्यक्ति को जीने का अधिकार है।
👉 कोई भी व्यक्ति या सरकार उसकी जान नहीं ले सकती जब तक कोई अपराध सिद्ध न हो।
    2. स्वतंत्रता (Liberty) – व्यक्ति अपने विचारों, अभिव्यक्ति और कर्म में स्वतंत्र है।
👉 विचारों की स्वतंत्रता और राजनीतिक स्वतंत्रता इसमें शामिल हैं।
    3. संपत्ति (Property) – Locke का मानना था कि:

“Mixing one’s labor with nature makes it one’s own.”
जब कोई व्यक्ति जंगल में सेब तोड़ता है या खेत जोतता है, तो वह वस्तु उसकी मेहनत से जुड़कर उसकी संपत्ति बन जाती है।

➤ इन अधिकारों की खासियत:

  • ये ईश्वरप्रदत्त (God-given) हैं — सरकार नहीं देती।

  • ये अविच्छिन्न (inalienable) हैं — छीने नहीं जा सकते।

  • इनकी रक्षा सरकार का मूल काम है।


3. प्राकृतिक अवस्था (State of Nature)

लॉक की कल्पना में, "प्राकृतिक अवस्था" एक ऐसी स्थिति है जहाँ:

  • कोई औपचारिक सरकार नहीं है।

  • लेकिन फिर भी लोग तर्क और नैतिकता से व्यवहार करते हैं।

  • यह पूरी तरह अराजक नहीं, पर कुछ अनिश्चित ज़रूर है।

➤ समस्या क्या थी?

यदि किसी का अधिकार किसी और ने तोड़ा, तो कोई न्यायिक प्राधिकरण नहीं था।
इसलिए लोगों ने आपसी समझौते से राज्य की रचना की — ताकि:

  • सभी को सुरक्षा मिले

  • अधिकारों की रक्षा हो

  • निष्पक्ष न्याय हो


4. सामाजिक अनुबंध (Social Contract)

लॉक के अनुसार, सरकार का जन्म जनता की सहमति से होता है।

➤ अनुबंध का स्वरूप:

  • नागरिक कुछ अधिकार सरकार को सौंपते हैं

  • बदले में सरकार उनकी सुरक्षा करती है

  • यह अनुबंध सीमित है — सरकार केवल उतनी ही शक्ति रखती है जितनी जनता ने उसे दी है

➤ विद्रोह का अधिकार:

यदि सरकार:

  • निरंकुश हो जाए

  • अधिकारों का उल्लंघन करे

  • मनमानी कानून बनाए

तो जनता को विद्रोह करने और सरकार बदलने का नैतिक अधिकार है।

“The people shall be absolved from obedience.”


5. सहमति और वैधता (Consent and Legitimacy)

राज्य की वैधता केवल तभी होती है जब उसे जनता की सहमति प्राप्त हो।

➤ सहमति के दो रूप:

  • Explicit consent – सीधा समर्थन देना (जैसे वोट डालना)
  • Tacit consent – राज्य की सुविधाओं का उपयोग कर राज्य को अप्रत्यक्ष रूप से मान्यता देना

➤ इसका तात्पर्य:

  • राजा या धर्म के नाम पर सत्ता नहीं चल सकती

  • लोकतंत्र ही राज्य की वैधता का आधार है


6. स्वतंत्रता और विधायिका (Liberty and Legislature)

लॉक का मानना था कि:

  • स्वतंत्रता का अर्थ कानून के अधीन स्वतंत्रता है, अराजकता नहीं

  • सरकार का केंद्र विधायिका (Legislature) है, जहाँ से नियम बनते हैं

  • कार्यपालिका (Executive) को विधायिका के अधीन रहना चाहिए

"Wherever law ends, tyranny begins."


7. धार्मिक सहिष्णुता (Religious Toleration)

लॉक ने यह सिद्धांत दिया कि राज्य को धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

➤ उन्होंने कहा:

  • प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है

  • किसी भी धर्म को बलपूर्वक थोपा नहीं जाना चाहिए

➤ अपवाद:

लॉक ने कैथोलिक चर्च और नास्तिकों को इससे बाहर रखा — यह उनकी आलोचना का एक कारण बना।


8. अनुभववाद और शिक्षा (Empiricism and Education)

Locke ने अपने Essay Concerning Human Understanding में कहा:

"The mind is a blank slate (Tabula Rasa)."

➤ उनका मानना था:

  • बच्चा जन्म के समय एक खाली पृष्ठ होता है

  • उसका अनुभव, शिक्षा और समाज उसे गढ़ते हैं

यह सिद्धांत शिक्षा-नीति में क्रांति ले आया।


तुलनात्मक विश्लेषण (Locke vs Hobbes vs Rousseau)

सिद्धांतलॉकहॉब्सरूसो
मानव स्वभावनैतिक, तर्कशीलस्वार्थी, भयभीतभला, पर समाज ने बिगाड़ा
राज्य का जन्मसहमति सेभय सेसमानता स्थापित करने को
अधिकारजीवन, स्वतंत्रता, संपत्तिकेवल सुरक्षास्वतंत्र इच्छा, समानता
अनुबंधसीमित सरकार हेतुनिरंकुश सरकार हेतुजन-इच्छा की सर्वोच्चता
विद्रोह का अधिकारहैनहींहै

आधुनिक लोकतंत्र पर प्रभाव

लॉक के विचारों ने कई देशों की राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित किया:

➤ अमेरिका:

  • Declaration of Independence में थॉमस जेफ़रसन ने "Life, Liberty, and the Pursuit of Happiness" लिखा — लॉक से प्रेरित

➤ फ्रांस:

  • French Revolution में "Liberty, Equality, Fraternity" का आधार

➤ भारत:

  • हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों की संरचना में लॉक के सिद्धांतों की झलक मिलती है — जैसे जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार, संपत्ति, धार्मिक स्वतंत्रता, आदि


आलोचना और सीमाएँ

आलोचनाविवरण
संपत्ति पर ज़्यादा ज़ोरगरीब और अमीर के बीच खाई को जायज़ ठहराता है
गुलामी और महिलाओं पर चुप्पीसमावेशी नहीं
अनुभववाद की सीमाएँबौद्धिकता या अंतःप्रेरणा की भूमिका को नकारता है
धर्म पर पक्षपातनास्तिकों और कैथोलिकों को बाहर रखा

निष्कर्ष

जॉन लॉक की राजनीतिक थ्योरी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी 17वीं सदी में थी। उन्होंने न केवल एक न्यायसंगत राज्य की परिकल्पना की, बल्कि यह भी बताया कि सरकारें जनता की सेवक होती हैं, और व्यक्ति के अधिकार राज्य से ऊपर होते हैं

वह हमारे समय के राजनीतिक स्वराज, मानवाधिकार और संवैधानिक सीमाओं की आत्मा हैं।


संदर्भ

1. John Locke – Two Treatises of Government
2. George Sabine – A History of Political Theory
3. C.B. Macpherson – The Political Theory of Possessive Individualism
4. Peter Laslett – Introduction to Locke’s Political Thought
5. Jeremy Waldron – God, Locke, and Equality

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