
थॉमस हॉब्स (1588–1679) आधुनिक राजनीतिक दर्शन के उन दार्शनिकों में से हैं जिन्होंने राज्य की अवधारणा को वैज्ञानिक, यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझाया।
उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना Leviathan (1651) में उन्होंने समाज और राज्य की उत्पत्ति को सामाजिक अनुबंध (Social Contract) के माध्यम से समझाया और यह बताया कि क्यों मनुष्य को एक शक्तिशाली सार्वभौम सत्ता (sovereign) की आवश्यकता है।
“Without a common power to keep them all in awe, men are in that condition which is called war.”
जीवन परिचय
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जन्म: 5 अप्रैल 1588, इंग्लैंड
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मृत्यु: 4 दिसंबर 1679
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शिक्षा: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
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पेशा: दार्शनिक, गणितज्ञ, अनुवादक
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प्रमुख रचनाएँ: Leviathan, De Cive, Elements of Law
हॉब्स का जीवन इंग्लैंड में गृहयुद्ध, धार्मिक संघर्षों और राजनीतिक अस्थिरता से घिरा था, जिसने उनके चिंतन को प्रभावित किया और उन्हें एक शक्तिशाली केंद्रीय सत्ता का पक्षधर बनाया।
प्रमुख रचनाएँ
कृति | विशेषता |
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Leviathan (1651) | सामाजिक अनुबंध और संप्रभुता का वर्णन |
De Cive | नागरिक जीवन और नैतिकता पर चर्चा |
Elements of Law | मानव स्वभाव और कानून की व्याख्या |
Translation of Thucydides | युद्ध और राजनीति पर क्लासिक ग्रीक दृष्टिकोण का अनुवाद |
हॉब्स का राजनीतिक दर्शन
1. मानव स्वभाव (Human Nature)
हॉब्स के अनुसार मनुष्य स्वभाव से:
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स्वार्थी (Selfish)
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भयभीत (Fearful)
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महत्वाकांक्षी (Ambitious)
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प्रतिस्पर्धी (Competitive) होता है
उन्होंने लिखा:
“In the state of nature, every man is enemy to every man.”
2. प्राकृतिक अवस्था (State of Nature)
हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था को एक ऐसी स्थिति बताया जिसमें:
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कोई सामाजिक व्यवस्था नहीं
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कोई कानून या न्याय नहीं
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सतत युद्ध की स्थिति होती है
“Life in the state of nature is solitary, poor, nasty, brutish, and short.”
इसलिए मनुष्य सुरक्षा और शांति की खोज में सामाजिक अनुबंध करता है।
3. सामाजिक अनुबंध (Social Contract)
हॉब्स का सामाजिक अनुबंध एक ऐसा समझौता है:
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जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी कुछ स्वतंत्रताएं त्याग देता है
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और एक सर्वोच्च सत्ता (sovereign) को मान्यता देता है
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ताकि वह शांति और सुरक्षा बनाए रखे
4. लेवायथन (Leviathan): सार्वभौम सत्ता का रूपक
हॉब्स ने राज्य को एक लेवायथन (विशालकाय समुद्री राक्षस) के रूप में चित्रित किया:
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जो जनता से बना है
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लेकिन जिसकी शक्ति एक व्यक्ति या संस्था के पास केंद्रित होती है
“The Leviathan is the artificial man whose soul is the sovereign.”
यह राज्य एक कृत्रिम व्यक्ति (Artificial Person) है जो जनता के हित में कार्य करता है।
5. सार्वभौमिकता (Sovereignty)
हॉब्स के अनुसार:
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राज्य की शक्ति पूर्ण, असीमित और अविभाज्य होनी चाहिए
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इस सत्ता को चुनौती नहीं दी जा सकती
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यदि लोग राज्य की सत्ता को नहीं मानते, तो अराजकता लौट आएगी
इसलिए सत्ता के विरुद्ध विद्रोह उचित नहीं है —
“Rebellion is injustice.”
6. धर्म और राज्य का संबंध
हॉब्स धार्मिक उग्रवाद से डरते थे। उन्होंने कहा:
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राज्य को धर्म पर नियंत्रण रखना चाहिए
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चर्च की सत्ता राज्य से अलग नहीं हो सकती
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राजा को धार्मिक मामलों में भी सर्वोच्च निर्णय लेना चाहिए
“The church is a part of the commonwealth.”
हॉब्स बनाम अन्य दार्शनिक
तत्व | हॉब्स | लॉक | रूसो |
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मानव स्वभाव | स्वार्थी, भयभीत | तर्कशील, सहयोगी | सहज रूप से भला |
राज्य की उत्पत्ति | अनुबंध द्वारा सुरक्षा हेतु | अनुबंध द्वारा अधिकारों की रक्षा हेतु | समानता हेतु |
संप्रभुता | पूर्ण, निरंकुश | सीमित | लोकप्रिय |
विद्रोह का अधिकार | नहीं | है | है |
आधुनिक राजनीति पर प्रभाव
क्षेत्र | प्रभाव |
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राज्य का सिद्धांत | आधुनिक राष्ट्र-राज्य की नींव |
कानून और अधिकार | संप्रभुता की धारणा स्पष्ट की |
अंतरराष्ट्रीय संबंध | यथार्थवादी दृष्टिकोण की प्रेरणा |
संविधान और शासन | अनुबंध सिद्धांत का आधार बनाया |
आलोचना
आलोचना | विचारक / दृष्टिकोण |
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निरंकुश सत्ता का समर्थन | लोकतंत्र समर्थकों ने विरोध किया |
स्वतंत्रता की अवहेलना | रूसो और लॉक जैसे विचारकों ने नकारा |
नैतिकता की उपेक्षा | आदर्शवादी दृष्टिकोण से विरोध |
राज्य का अत्यधिक महत्त्व | समाज के बहुस्तरीय स्वरूप की उपेक्षा |