
दावा किया जाता हैं:
“वेदों में बिजली (Electricity), बैटरी, बल्ब, और इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा का उल्लेख पहले से है। ऋग्वेद की ऋचाएं इसका प्रमाण हैं।”
📌 ये दावे अक्सर अर्थ का अतार्किक अनुवाद और विक्टोरियन दौर की कल्पनाओं पर आधारित होते हैं।
पर क्या वास्तव में ऐसा कुछ वेदों में लिखा है?
वेदों में किस ऋचा का उल्लेख किया जाता है?
सबसे प्रचलित उदाहरण है:
ऋग्वेद 1.32.13 —
"Indra lights up the sky with his electricity… He creates light for all to see."
🚫 असल में वेदों का मूल संस्कृत पाठ कुछ इस प्रकार है:
“इन्द्रः स्वेन तेजसा दिवं प्रकाशयति।”
(अर्थ: इन्द्र अपने तेज से आकाश को प्रकाशित करता है।)
➡️ यह 'तेज' या 'प्रकाश' को आधुनिक 'इलेक्ट्रिसिटी' मान लेना अनुवाद की गलती है।
'तेज', 'प्रकाश', 'विद्युत्' — क्या यही इलेक्ट्रिसिटी है?
शब्द | वैदिक अर्थ | आधुनिक अर्थ से अंतर |
---|---|---|
तेज | ऊर्जा, शक्ति, दीप्ति | किसी भी प्रकार की शक्ति (न्यूक्लियर, सूर्य, अग्नि) |
विद्युत् | बिजली, चपला, आकाशीय बिजली | कभी-कभी तात्पर्य मेघगर्जना से |
प्रकाश | रोशनी | प्राकृतिक या दैवी तत्व |
➡️ वेदों में 'विद्युत्' शब्द है, पर वह 'आकाशीय बिजली' (thunder/lightning) के अर्थ में प्रयुक्त है — न कि विद्युत प्रवाह (Electric current) के।
क्या बल्ब और बैटरी का वर्णन है?
कुछ लेख और व्हाट्सएप पोस्ट दावा करते हैं:
"आग्नेय मंत्र में बल्ब का उल्लेख है। वेदों में विद्युत प्रवाह और स्विचिंग तकनीक भी है।"
🚫 लेकिन यह पूरी तरह मिथ्या (fabrication) है। न वेदों में ‘बल्ब’, ‘धातु तंतु’, ‘परिपथ’, ‘इलेक्ट्रॉन’ या ‘बैटरी’ जैसा कोई उल्लेख है।
वेदों में 'अग्नि' और 'सूर्य' को 'प्रकाश स्रोत' कहा गया है — जैसे हर सभ्यता में होता है।
क्या प्राचीन भारत में कोई बिजली तकनीक थी?
भारत में:
-
धातु विज्ञान (लोहे, ताम्र, जस्ता आदि) की प्रगति थी।
-
आकाशीय घटनाओं (बिजली, वर्षा, इंद्रध्वनि) का धार्मिक महत्त्व था।
-
परंतु न तो कोई बैटरी, तार, कुंडली, न कोई ऊर्जा संचयन प्रणाली का प्रमाण मिला।
➡️ न कोई पुरातात्विक अवशेष, न कोई तकनीकी ग्रंथ — इसलिए यह दावा कल्पना पर आधारित है।
यह मिथक कैसे फैला?
-
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश विद्वानों ने वेदों का अपने तरीके से अनुवाद किया, कई बार गलत।
-
भारतीय राष्ट्रवादियों ने इसे पकड़कर कहा:
“देखो, वेदों में बिजली थी, आज जो अमेरिका बना रहा है, हम पहले कर चुके हैं।”
➡️ यह वैज्ञानिक भावना नहीं, बल्कि भावनात्मक गौरव आधारित उल्टा निष्कर्ष (reverse inference) है।
निष्कर्ष
-
वेदों में 'बिजली' का कोई वैज्ञानिक, यांत्रिक, या प्रौद्योगिकीय विवरण नहीं है।
-
'प्रकाश', 'तेज', 'विद्युत' जैसे शब्द प्राकृतिक या दैवी शक्तियों के लिए प्रयुक्त हैं, न कि आधुनिक तकनीक के लिए।
-
हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे ग्रंथों में प्रकृति को इतनी सुंदरता से देखा गया — पर उसे तकनीकी विवरण बताना विज्ञान का अपमान है।