भारतीय रेलवे: इतिहास, विस्तार और विकास की कहानी

भारत में रेलवे का इतिहास 16 अप्रैल 1853 से शुरू होता है, जब पहली यात्री ट्रेन ने मुंबई (बोरीबंदर) से ठाणे के बीच लगभग 34 किलोमीटर की दूरी तय की। इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत के साथ भारत में एक नये युग का आरंभ हुआ, जिसने न केवल परिवहन व्यवस्था को बदला बल्कि सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास को भी गहरा प्रभाव दिया।

ब्रिटिश शासन के दौरान रेलवे का निर्माण मुख्यतः कच्चे माल के परिवहन और प्रशासनिक नियंत्रण के लिए किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति तक भारत में रेलवे नेटवर्क लगभग 53,596 किलोमीटर तक विस्तारित हो चुका था। वर्ष 1951 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर इसे एकीकृत प्रणाली के रूप में संगठित किया गया, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे प्रणालियों में से एक है।

भारतीय रेलवे की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में भारतीय रेलवे का नेटवर्क 64,015 किलोमीटर से भी अधिक लंबा है, जो देश के लगभग 7,500 से अधिक स्टेशनों को आपस में जोड़ता है। यह प्रणाली ब्रॉड गेज, मीटर गेज और नैरो गेज पर संचालित होती है, हालांकि ब्रॉड गेज ही मुख्य आधार बन चुकी है।

भारतीय रेल 17 ज़ोन में विभाजित है और यह नेटवर्क न केवल भारत के भीतर सीमित है, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में भी इसकी सीमित सेवाएं उपलब्ध हैं।

प्रमुख निर्माण केंद्र

  • कोच निर्माण: चेन्नई (ICF), कपूरथला (RCF) और रायबरेली (MCF) में यात्री डिब्बों का निर्माण होता है।

  • व्हील निर्माण: मढ़ौरा (बिहार) और बेंगलुरु (कर्नाटक) रेल व्हील निर्माण के प्रमुख केंद्र हैं।

प्रौद्योगिकी और गति

भारतीय रेलवे ने उच्च गति और तकनीकी उन्नति की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस, जो दिल्ली और भोपाल के बीच चलती है, देश की सबसे तेज़ ट्रेनों में से एक है, जिसकी अधिकतम गति लगभग 140 किमी/घंटा है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में वंदे भारत एक्सप्रेस, सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं पर भी कार्य प्रगति पर है।

प्रशासन और बजट

  • स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री थे जॉन मथाई

  • वर्तमान में रेल मंत्री हैं अश्विनी वैष्णव (साल 2024-25 तक की जानकारी के अनुसार)।

रेल बजट को पहले आम बजट से अलग पेश किया जाता था। यह परंपरा 1924 में शुरू हुई थी, जब रेलवे का खर्च पूरे केंद्रीय बजट का लगभग 70% हुआ करता था। लेकिन वर्ष 2017 से रेल बजट को आम बजट में ही शामिल कर दिया गया है। अब रेलवे बजट अलग नहीं होता, बल्कि इसे वित्त मंत्रालय द्वारा पेश आम बजट का हिस्सा माना जाता है।

चुनौतियाँ और प्रयास

भारतीय रेलवे आज आधुनिकरण, सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता जैसे कई मोर्चों पर चुनौती झेल रही है। लेकिन साथ ही रेलवे, 100% विद्युतीकरण, नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन, और डिजिटल टिकटिंग, AI आधारित निगरानी, जैसी परियोजनाओं के माध्यम से भविष्य की ओर कदम बढ़ा रही है।


निष्कर्ष:
भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन तंत्र नहीं, बल्कि यह भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवनरेखा है। इसकी यात्रा 1853 से शुरू होकर आज तकनीक, विस्तार और नवाचार की ओर निरंतर गतिशील है। यदि यह कहा जाए कि भारतीय रेलवे देश की नसों में दौड़ता हुआ लोहे का रथ है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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