“ऋषि अगस्त्य ने हजारों वर्ष पहले बैटरी और इलेक्ट्रोलिसिस (जल का विघटन) की खोज कर ली थी। उन्होंने ‘अगस्त्य संहिता’ में बैटरी का पूरा फॉर्मूला दिया है।”
दावा क्या है?
“अगस्त्य संहिता” नामक ग्रंथ के निम्नलिखित श्लोक का अक्सर हवाला दिया जाता है:
"संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्।छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि र्लोहचर्मणा।।संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्।"
दावाकारों के अनुसार, इसका अर्थ है:
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मृण्मय पात्र (Earthen Pot) — बैटरी का सेल
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ताम्र पत्र (Copper Plate) — कैथोड
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शिखिग्रीव (Peacock’s Neck = Zinc) — एनोड
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लोहचर्म (Iron Sheet) — इलेक्ट्रोलाइट
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तेजो उत्पत्ति = विद्युत ऊर्जा
➡️ इसके आधार पर कहा जाता है कि भारत में 5000 साल पहले बैटरी बन चुकी थी।
विज्ञान की दृष्टि से विश्लेषण
एक आधुनिक गैल्वेनिक सेल (Battery) बनाने के लिए चाहिए:
| घटक | आधुनिक उदाहरण |
|---|---|
| एनोड | जिंक (Zinc) |
| कैथोड | कॉपर (Copper) |
| इलेक्ट्रोलाइट | एसिड/साल्ट सॉल्यूशन |
| पृथकता (Separation) | इलेक्ट्रिक इंसुलेटर |
🔎 संस्कृत साहित्य में 'शिखिग्रीव' = मोर या अजगर के गले का रंग — यानी नीलापन।
➡️ ये व्याकरणिक शब्दों की जबरदस्ती व्याख्या है।
क्या अगस्त्य संहिता प्राचीन ग्रंथ है?
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अगस्त्य संहिता वास्तव में एक बहुत बिखरी हुई और असंगठित रचना है।
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यह ऋग्वैदिक ऋषि अगस्त्य से जुड़ी है, परंतु वर्तमान में जिस “संहिता” का हवाला दिया जाता है वह मध्यकालीन रचना है।
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कोई भी पांडुलिपि, तिथि, भाषावैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो इसे वैदिक काल का सिद्ध करे।
📌 ऋग्वेद में 'अगस्त्य' का उल्लेख है, लेकिन बैटरी या विद्युत से संबंधित कोई वर्णन नहीं मिलता।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ये दावे क्यों अवैज्ञानिक हैं?
कोई प्रायोगिक विवरण नहीं
न तो उस समय की सामग्री, मात्रा, या यंत्र का स्पष्ट विवरण है।
रासायनिक अभिक्रिया का उल्लेख नहीं
कोई इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर या रिएक्शन नहीं बताया गया है।
परिणाम अनिश्चित
“तेजो उत्पत्ति” का अर्थ केवल “ऊर्जा” भी हो सकता है — विद्युत नहीं।
📌 यदि हम यह मान लें कि श्लोक में बैटरी का विवरण है, तो अगला सवाल यह होगा —
“क्या प्राचीन भारत में इसका उपयोग हुआ? क्या कोई बैटरी, मोटर या बल्ब मिला है?”
➡️ उत्तर: नहीं। कोई भौतिक प्रमाण नहीं है।
यह मिथक कैसे फैला?
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19वीं शताब्दी में जब यूरोप में विद्युत विज्ञान विकसित हुआ, तो भारत में कुछ लोगों ने पुराने श्लोकों की नई व्याख्या शुरू की।
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G. R. Josyer नामक व्यक्ति ने 'ऋषियों के विज्ञान' को खोजना शुरू किया।
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यह अभियान धीरे-धीरे राष्ट्रवादी अस्मिता से जुड़ गया — और अगस्त्य को “बैटरी के आविष्कारक” के रूप में प्रचारित किया गया।
📌 ये “Post-facto rationalization” है — यानी नई खोज के बाद पुराने ग्रंथों में अर्थ खोजना।
क्या भारत में विद्युत रसायन पर कोई ऐतिहासिक काम हुआ?
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नहीं, भारत में कोई ऐसा ग्रंथ या प्रयोगशाला प्रणाली नहीं मिली जिसमें बैटरी, इलेक्ट्रोलिसिस या इलेक्ट्रॉनिक्स के वास्तविक प्रयोग हुए हों।
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आर्यभट, भास्कराचार्य, चरक, सुश्रुत, नागार्जुन आदि ने खगोल, गणित, चिकित्सा और रसायनशास्त्र में अमूल्य योगदान दिया — लेकिन बैटरी का कहीं ज़िक्र नहीं है।
निष्कर्ष
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'अगस्त्य संहिता' में बैटरी का वर्णन काल्पनिक और भाषिक व्याख्या पर आधारित है।
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यह आधुनिक विज्ञान को पुरातन ग्रंथों से जोड़ने की अनावश्यक कोशिश है।
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यदि हम भारत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो विज्ञान और श्रद्धा के बीच स्पष्ट रेखा खींचनी होगी।
