कब कौन किसी का होता है, सब झूठे रिश्ते नाते हैं

कब कौन किसी का होता है,
सब झूठे रिश्ते नाते हैं,

सब दिल रखने की बातें हैं,
सब असली रूप छुपाते हैं,

एक बार निगाहों में आ कर के... 
फिर सारी ज़िन्दगी रुलाते हैं,

कितने चेहरे है इस दुनिया में...
सब का एक चेहरा नज़र आता है,

इंसानों की भीड़ में, घुल मिल सा सब कुछ जाता है,
जाने-पहचाने भी भीड़ में अनजाने से बन जाते हैं,

पहचानते हुए भी… सब अजनबी से पेश आते हैं। 

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