
सर्वप्रथम आप सभी को मेरी तरफ से 64वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं :)
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दिया था बलिदान देशभक्तों ने ...वतन के लिए
...तब जाके स्वतंत्र और गणतंत्र हुए थे हम,
लेकिन अब तो बट गया है देश .. जाति, धर्म, कर्म जैसे नामो से ..
वैसे तो ... कोई एक नहीं ...और ये दिन आते ही सब एक होने की बात करते है ...
.. क्या वास्तव में इसी तरह गणतंत्र हुए है हम..??
सभी भ्रष्ट नेता आज भारत देश को बेच खाना चाहते है... एक नहीं हर एक नेता आज यही कर रहा है..
कुछ और नहीं मिलता तो... मौका मिलते ही ये मजहब के नाम पर शुरु हो जाते है.. लेकिन हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए के हम भारतीय है... और वो भारतीय ... जिसकी संस्कृति.. और सभ्यता को दुनिया सलाम करती है..
इस वैभव को बनाये रखने के लिए ... हमें किसी को दोष देने से पहले ..आपने आप को सुधरने का प्रयत्न करना है.. एक-एक बूँद से सागर बनता है.. और हमें उस सागर को महासागर बनाना है...
दुनिया को बताना होगा... अगर सब भारतीय एक साथ खड़े हो जायें तो.. दुनिया जीत जायेंगे
फिर से संगठित होना होगा.. अगर नहीं हुए.. तो हमारा देश भारत नहीं... बस INDIA रह जायेगा..
"ऐसा होने से पहले हम सब को गहरी नींद से जागना होगा..
अपने लिए तो पूरी ज़िन्दगी करते आये है..करते रहेंगे... कुछ देश के लिए भी करना होगा "
"आपसी नफरत बुरी है ... मत पालो इसे,
दिलों में खलिश है... निकालो इसे,
तेरा... न मेरा... न इसका... न उसका...
सबका है ये वतन... बचा लो इसे"
"न तेरा है... न मेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है,
नहीं समझी गई.. अगर ये बात, तो नुक्सान सबका है"
जय हिन्द... जय भारत... :)